घरेलू चेक/लिखत की संग्रहण नीति (2015-16)
1. भूमिका
भुगतान एवं निपटान प्रणालियों में हुई प्रौद्योगिकीगत प्रगति तथा कई बैंकों द्वारा परिचालन प्रणालियों एवं प्रक्रियाओं में किए गए गुणवत्तापरक बदलावों को मद्देनज़र रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1 नवंबर, 2014 से (i) स्थानीय/बाहरी चेकों को तत्काल जमा देने; (ii) स्थानीय/बाहरी लिखत के संग्रहण की नियत समयावधि, और (iii) देर से किए गए संग्रहण पर ब्याज भुगतान के विषय में वाणिज्यिक बैंकों को पूर्व में दिए गए निर्देश वापस ले लिए हैं।
इन बाध्यकारी दिशानिर्देशों को वापस लिए जाने के फलस्वरूप अपेक्षा की गई थी कि चेकों और अन्य लिखत के संग्रहण की कार्यक्षमता के सुधार में अपनी भूमिका निभाने में स्पर्धाशील बाजार शक्तियां सक्षम हों जाएंगी। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नियत समयावधि एवं ब्याज भुगतान पर दिए गए निर्देशों को वापस लिए जाने से बैंकों को अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने का एक और मौका हाथ लग गया है।
यह नीति ग्राहकों के प्रति बैंक के दायित्व तथा स्थानीय/बाहरी चेकों/लिखतों में संग्रहण एवं संबंधित मुद्दों पर ग्राहकों के अधिकारों का खुलासा करती है।
1.1 नीतिगत उद्देश्य
बैंक की यह संग्रहण नीति हमारे ग्राहकों को और बेहतर सेवा प्रदान करने तथा कार्यनिष्पादन के उच्चतर मानक निर्धारित करने के हमारे प्रगामी प्रयत्नों को रेखांकित करती है। यह नीति ग्राहक व्यवहार में पारदर्शिता एवं शालीनता के सिद्धांतों पर आधारित है। शाखाएं अपने ग्राहकों को जल्द संग्रहण सेवाएं प्रदान करने हेतु प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक इस्तेमाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मोटे तौर पर इस नीतिगत दस्तावेज में निम्नांकित पहलुओं को शामिल किया गया है:
- स्थानीय रूप से भारत के अंदर देय (स्पीड क्लियरिंग सहित) चेक एवं अन्य लिखत में संग्रहण
- चेकों का तुरंत जमा (तत्काल जमा सुविधा)
- लिखत में संग्रहण के समय मानदंडों के संबंध में हमारी प्रतिबद्धता
- उन मामलों में ब्याज भुगतान, जिनमें बैंक बाहरी लिखतों की प्राप्त राशियां जमा करने के समय मानदंडों पर खरा नहीं उतर पाता है।
- आवाजाही में खोनेवाले लिखत के संग्रहण से संबंधित व्यवहार
- चेकों के बारंबार अनादरण संबंधी व्यवहार
- समाशोधन के जारी न रहने के दौरान निदानपरक कार्रवाई
2. संग्रहण की व्यवस्था:
2.1 चेक ड्रॉप बॉक्स सुविधा
ड्रॉप बॉक्स की सुविधा और आम संग्रहण काउंटरों पर चेकों की पावती की सुविधा, ये दोनों ही सुविधाएं ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाएं और यदि ग्राहक ऐसे काउंटरों पर चेक प्रस्तुत करता है तो कोई भी शाखा पावती देने से मना न करे।
शाखाएं सुनिश्चित करें कि ग्राहकों को अपने चेक ड्रॉप बॉक्स में ही डालने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है। साथ ही इस संबंध में ग्राहक को जागरुक करने के लिए बैंक चेक ड्रॉप बॉक्स पर ही यह अवश्य प्रदर्शित करें कि “ग्राहक काउंटर पर चेक प्रस्तुत करके भुगतान पर्ची पर पावती भी प्राप्त कर सकते हैं।” यह सूचना अंग्रेजी, हिंदी एवं संबंधित राज्य की क्षेत्रीय भाषा में भी प्रदर्शित करना जरूरी है।
शाखाओं को यह भी निर्देश दिया जाता है कि जब-जब बॉक्स खोला जाता है तब-तब लिखत की संख्या का हिसाब रखने के लिए वे भलीभांति पुख्ता इंतजाम करें ताकि किसी प्रकार का विवाद न रहे और ग्राहक हितों के साथ खिलवाड़ न हो।
चेक ड्रॉप बॉक्स इस तरह तैयार किया और परिचालित किया जाए कि प्राधिकृत व्यक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई भी चेक ड्रॉप बॉक्स में से चेक न निकाल सके।
चेक ड्रॉप बॉक्स पर हमेशा ताला लगाकर रखा जाए।
2.2 स्थानीय चेक
स्थानीय स्तर पर देय सभी चेक एवं अन्य परक्राम्य लिखत संबंधित केंद्र पर प्रचलित समाशोधन प्रणाली के जरिए प्रस्तुत किए जाएंगे। शाखा परिसर में निर्दिष्ट अंतिम समय-सीमा के पूर्व शाखा के काउंटरों पर और संग्रहण बॉक्स में जमा किए गए चेक उसी दिन समाशोधन के लिए भेज दिए जाएंगे। इस समय-सीमा के बाद, तथा ऑनसाइट एटीएम के साथ ही शाखा परिसर के बाहर स्थित संग्रहण बॉक्स में जमा किए गए चेक अगले समाशोधन चक्र में भेजे जाएंगे। नीति के अनुसार जिस दिन समाशोधन का कार्य पूरा होता है उसी दिन शाखाएं ग्राहक के खाते में राशि जमा करेंगी। इस प्रकार जमा की गई राशियों को दूसरे दिन या तीसरे दिन आहरण की अनुमति दी जाएगी, जो कि समाशोधन गृह की चेक वापसी के समय नियोजन पर निर्भर करेगा। जहां भी लागू हो, ग्राहकों को उच्च मूल्य समाशोधन (उसी दिन जमा) की सुविधा प्रदान की जाएगी।
सीबीएस शाखाओं के लिए काटे गए चेकों को यूको बैंक स्थित ग्राहक के खाते में उसी दिन जमा कर दिया जाएगा। मीयादी ऋण सहित ऋण और अग्रिम खातों के लिए जमा किए गए चेकों के मामले में, ब्याज लगाने हेतु गणना के प्रयोजन से यथास्थिति पहले दिन या दूसरे दिन (यानी जिस दिन भारतीय रिज़र्व बैंक/भारतीय स्टेट बैंक के साथ बैंक का निपटान होता है, जो कि स्थान विशेष के समाशोधन चक्र पर निर्भर करेगा) मूल्य तारीख क्रेडिट प्रदान किया जाएगा, ताकि ग्राहक को अपने जमा खाते से नामे की गई राशि पर साथ-ही-साथ ब्याज का लाभ भी मिल सके। नीचे दिए गए अनुच्छेद 2.4 के अनुसार तत्काल प्रदत्त जमा और दूसरे दिन या तीसरे दिन या उससे पहले आहरण को जमा की जानेवाली राशि पर आधारित लेन-देन के रूप में माना जाएगा तथा आहरण एवं खाते में वास्तव में राशि जमा होने के बीच के दिनों के लिए उस पर प्रयोज्य ब्याज लगाया जाएगा।
ऐसी बैंक शाखाएं, जो उन केंद्रों में स्थित हों जहां समाशोधन गृह नहीं है, काउंटर पर आहरणकर्ता (ड्रॉई) बैंकों को स्थानीय चेक प्रस्तुत करेंगी और बैंक का यह प्रयास रहेगा कि जल्द से जल्द प्राप्य राशियों को जमा कर दिया जाए।
अंतिम समय-सीमा तक प्राप्त चेक उसी दिन स्थानीय समाशोधन गृह को भेज दिए जाएंगे। इस अंतिम समय-सीमा की सूचना प्रत्येक शाखा द्वारा अपने काउंटरों पर तथा शाखा परिसर के अंदर स्थापित ड्रॉप बॉक्स पर भी प्रदर्शित की जाएगी। उच्च मूल्य के समाशोधन एवं सरकारी खातों, जैसे आयकर आदि में जमा के लिए भी इसी प्रकार अंतिम समय-सीमा की सूचना प्रदर्शित की जाएगी।
2.3 बाहरी चेक
गैर-सीबीएस वातावरण/नेटवर्क रहित केंद्रों के मामले में, बाहरी केंद्रों पर अन्य बैंकों के लिए काटे गए चेकों(चेक पर “सीबीएस” लेजेंड नहीं) का संग्रहण सामान्यत: इन केंद्रों में स्थित बैंक शाखाओं के जरिए किया जाएगा। जहां बैंक की अपनी कोई शाखा नहीं है वहां लिखत को आहरणकर्ता बैंक के पास संग्रहण के लिए सीधे भेज दिया जाएगा या फिर मध्यस्थ बैंक के जरिए संग्रहण किया जाएगा। बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रदत्त राष्ट्रीय समाशोधन सेवाओं का भी उन केंद्रों में उपयोग करेगा जिन केंद्रों में ऐसी संग्रहण सेवाएं मौजूद हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने कुछ चुनिंदा केंद्रों पर कोर बैंकिंग समर्थित शाखाओं के लिए काटे गए बाहर के चेकों का भुगतान निपटाने के लिए, ऐसे चुनिंदा केंद्र पर जहां किसी ग्राहक ने चेक प्रस्तुत किया है/किए हैं, स्थानीय समाशोधन के जरिए स्पीड क्लियरिंग सेवा प्रारंभ की है। चूंकि हमारे बैंक में 100%सीबीएस परिवर्तन हो चुका है, ऐसे चुनिंदा केंद्रों पर हम स्पीड क्लियरिंग सेवा प्रदान करेंगे जहां हमारी उपस्थिति है। इससे सदस्य बैंकों के बाहर की कोर बैंकिंग समर्थित शाखाओं के लिए काटे गए चेकों के संग्रहण में सुविधा होगी यदि उनकी उस केंद्र पर नेटवर्क से जुड़ी शाखा हो जिसके लिए बाहरी चेक काटा गया है।
बाहरी केन्द्रों पर बैंक की स्वयं की शाखाओं के लिए काटे गए चेकों का संग्रहण प्रचलित इंटर सोल व्यवस्था को उपयोग में लाकर ही किया जाएगा। चूंकि हमारी शाखाएं केंद्रीयकृत प्रोसेसिंग व्यवस्था से जुड़ी हुई हैं और हम अपने ग्राहकों को “किसी भी स्थान पर बैंकिंग सेवाएं” प्रदान कर रहे हैं, किसी ऐसे अन्य बैंक पर जारी बाहरी लिखत के मामले में, जिसकी बाहरी शाखा भी सीबीएस नेटवर्क के अंतर्गत आती है और स्थानीय समाशोधन गृह में सम्मिलित होती है, ग्राहकों को उसी दिन राशि जमा दे दी जाएगी।
2.4 स्थानीय/बाहरी चेक/लिखत का तत्काल जमा:
बैंक की शाखाएं/विस्तार पटल रु.15000/- के समग्र मूल्य तक (हमारे बैंक/शाखाओं के लिए काटे गए मांग ड्राफ्ट/भुगतान आदेश/ब्याज/डिविडेंड वारंट और व्यक्तिगत खातेदारों द्वारा संग्रहण हेतु प्रस्तुत सरकारी उपक्रमों द्वारा जारी चेकों के मामले में रु.25000/- तक) बशर्ते कम से कम 6 माह तक ऐसे खातों का व्यवहार संतोषजनक रहा हो। ऐसे संग्रहण लिखत पर ग्राहक द्वारा अनुरोध किए जाने पर अथवा पहले से मौजूद व्यवस्था के अनुसार तत्काल जमा प्रदान की जाएगी। स्थानीय चेकों पर भी तत्काल जमा की सुविधा उन केंद्रों में उपलब्ध कराई जाएगी जिनमें औपचारिक समाशोधन गृह मौजूद नहीं है।
तत्काल जमा की सुविधा केवल व्यक्तिगत खातेदारों को उपलब्ध कराई जाएगी तथा ग्राहकों के बचत बैंक/चालू/नकदी ऋण खातों में दी जाएगी। यह सुविधा प्रदान करने के लिए खाते में न्यूनतम शेष का अलग से कोई निर्धारण नहीं किया जाएगा। फिर भी बाहरी/ स्थानीय चेकों में तत्काल जमा के प्रयोजन से अलग-अलग भुगतान पर्ची (डीएस-2ए) काम में लाई जाएगी।
2.4.1 जहां तत्काल जमा दी गई थी वहां भुगतान बिना वापस आनेवाले चेकों पर ब्याज लगाना:
यदि कोई चेक संग्रहण के लिए भेजा गया हो, जिसके लिए तत्काल बैंक द्वारा जमा प्रदान कर दिया गया हो और वह बिना भुगतान के वापस कर दिया गया हो तो चेक राशि तत्काल खाते से नामे कर ली जाएगी। तत्काल जमा देने की तारीख से लेकर लिखत के वापस किए जाने की तारीख के बीच ग्राहक पर कोई ब्याज नहीं लगाया जाएगा जब तक कि राशि निकाल लिए जाने के चलते बैंक में राशि का अभाव न हो गया हो। जहां भी लागू हो, खाते के नोशनल अतिदेय शेष पर ब्याज लगाया जाएगा यदि शुरुआत में जमा नहीं दिया गया होता।
यदि चेक पर प्राप्य राशि बचत बैंक खाते में जमा की गई और आहरित नहीं की गई तो इस प्रकार जमा की गई राशि तब ब्याज भुगतान के योग्य नहीं होगी जब चेक भुगतान बिना वापस कर दिया जाए। यदि प्राप्य राशि अतिदेय/ऋण खाते में जमा की गई हो तो जमा की तारीख से प्रतिप्रविष्टि की तारीख तक अतिदेय राशि/ ऋण पर लागू ब्याज दर से 2% प्रतिवर्ष ज्यादा दर से ब्याज वसूल किया जाएगा यदि चेक/लिखत उस सीमा तक भुगतान बिना वापस किया गया जिस सीमा तक बैंक में निधि का अभाव था।
2.4.2 संतोषजनक प्रकार से खाते का व्यवहार
क) खाता कम से कम 6 माह पहले खोला गया हो और उसमें केवाईसी मानदंडों का अनुपालन किया गया हो।
ख) खाते का व्यवहार संतोषजनक हो और बैंक को किसी भी तरह के अनियमित व्यवहार न देखे गए हों।
ग) जब ऐसा कोई चेक/लिखत न हो जिसके लिए तत्काल जमा उपलब्ध कराया गया हो पर जो वित्तीय कारणों से बिना भुगतान के वापस किया गया हो।
घ) जब बैंक को अग्रिम रूप में, पूर्व में दी गई किसी राशि की वसूली में किसी तरह की दिक्कत न हुई हो। इसमें वे चेक भी शामिल हैं जो तत्काल जमा देने के बाद वापस किए गए । ऐसे सभी चेकों की कुल राशि, जो खाते में जमा दिए गए परंतु जिनकी राशि प्राप्त नहीं हुई, तत्काल जमा के लिए निर्धारित अधिकतम सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में, खाते में जमा दिए गए अप्राप्त रकम वाले चेकों के मामले में, बैंक का कुल एक्सपोज़र अधिकतम सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए (यथास्थिति रु.15000 से रु.25000 तक)।
जिस चेक पर तत्काल जमा दिया गया हो, उसके अनादरित हो जाने पर ग्राहक से उस अवधि के लिए ब्याज (नीचे दिया गया खंड 9 देखें) की वसूली की जाएगी जिस अवधि में बैंक में निधि का अभाव था (तत्काल जमा की तारीख से से उस दिन तक जिस दिन बैंक को जमा उपलब्ध कराया गया)। इस ब्याज की दर वैयक्तिक ग्राहकों के लिए स्वीकृत ओवरड्राफ्ट सीमाओं पर लागू ब्याज दर रहेगी।
संग्रहण के लिए प्रस्तुत बाहरी लिखतों पर तत्काल जमा प्रदान करने में बैंक सेवा शुल्क के रूप में साधारण संग्रहण शुल्क एवं जेब से किए गए खर्च की वसूली करता है। परंतु चेक की खरीद पर लागू विनिमय शुल्क नहीं लिया जाएगा।
2.5 स्थानीय/बाहरी चेक की खरीद
खरीद के लिए प्राप्त होनेवाले स्थानीय चेकों हेतु तत्काल जमा (नीति के अनुसार रु.15000 से रु.25000 की अधिकतम सीमा तक) देने के लिए प्रति लिखत रु. 50/- का सेवा शुल्क लगाया जाएगा। बाहर से आनेवाले चेकों के मामले में, बैंक प्रचलित संग्रहण शुल्क लेगा।
2.5.1 समाशोधन कार्य बंद रहने के दौरान स्थानीय चेकों, ड्राफ्टों आदि की खरीद
ऐसे भी अवसर आ सकते हैं जब संबंधित प्राधिकारियों के नियंत्रण से परे के कारणों की वजह से समाशोधन गृह के परिचालन अस्थायी रूप से रुके हुए हों। ऐसे में ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि वे जिस बैंक में अपना खाता रखते हैं उनसे अन्य स्थानीय बैंकों पर जारी चेकों, ड्राफ्टों आदि पर प्राप्य राशि वे शीघ्र प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ऐसी आकस्मिकताओं के दौरान कुछ निदानात्मक कार्रवाई करना जरूरी है ताकि जहां तक हो सके, ग्राहकों को होनेवाली असुविधा और दिक्कतों को कम से कम किया जा सके, साथ ही ग्राहक सेवा का स्तर भी अच्छा बनाए रखा जा सके।
अत: जब भी समाशोधन की कार्रवाई बंद हो और अंदेशा यह हो कि यह समयावधि और लंबी हो सकती है, शाखाएं जिस सीमा तक संभव हो सके उस सीमा तक अस्थायी रूप से उधारकर्ता और जमाकर्ता दोनों प्रकार के ग्राहकों का ध्यान रख सकती हैं। इसके तहत ग्राहकों के खातों में संग्रहण के लिए जमा स्थानीय चेक, ड्राफ्ट आदि की खरीद की जा सकती है, खास ध्यान अच्छी साख एवं प्रतिष्ठा वाले सरकारी विभागों/कंपनियों द्वारा प्रस्तुत चेकों का और स्थानीय बैंकों पर जारी मांग ड्राफ्टों का रखा जा सकता है। इस तरह की सुविधा प्रदान करने के दौरान शाखाएं बेशक साख योग्यता, निष्ठा, ग्राहकों का पिछला व्यवहार और कार्यकलाप जैसे तत्वों को ध्यान में रखेंगी ताकि बाद में ऐसे लिखतों के अनादरित होने की संभावनाओं से बचा जा सके। समाशोधन गृह परिचालनों के बंद रहने के दौरान स्थानीय चेकों की खरीद की सीमा तत्काल जमा के वर्तमान प्रावधान यानी यथास्थिति रु. 15000/25000 के अनुसार होगी।
2.6 खाते में भुगतान वाले चेक का संग्रहण - अन्य पार्टी के खाते में प्राप्तियों को जमा करने पर रोक
क) विधिक आवश्यकताओं, खासकर परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 के अनुरूप और अनाधिकृत संग्रहणों के फलस्वरूप उपजनेवाली देयताओं से भारग्रस्त होते जा रहे बैंकों को संरक्षित करने के दृष्टिकोण से, भुगतान एवं बैंकिंग प्रणालियों की कार्यनिष्ठा और सशक्तता को बनाए रखने के प्रयोजन से, तथा हाल के बीते दिनों में पाए गए विचलनों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए भी भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों द्वारा ‘खाते में भुगतान’ वाले चेक की राशि को उस पर उल्लिखित नाम के व्यक्ति के अलावा अन्य किसी व्यक्ति के खाते में जमा किए जाने पर रोक लगाना जरूरी माना है। तदनुसार बैंकों को निदेश दिया गया था कि वे राशि पानेवाले ग्राहक के अलावा अन्य किसी व्यक्ति के लिए खाते में भुगतान वाले चेकों का संग्रहण न करें।
जहां पानेवाला/ आहरणकर्ता बैंक को यह निर्देश देता है कि पानेवाले के खाते के अतिरिक्त किसी अन्य खाते में संग्रहण की प्राप्तियों को जमा किया जाए, वहां, चूंकि यह निर्देश ‘खाते में भुगतान’ वाले चेक के अपेक्षित अंतर्निहित चरित्र के विपरीत है, बैंक पानेवाले/ आहरणकर्ता से कहे कि आहरणकर्ता उस चेक को, या फिर उसका खाते में भुगतान वाला अनुदेश वापस ले ले। ये अनुदेश किसी बैंक द्वारा काटे गए और किसी अन्य बैंक द्वारा देय चेक के संबंध में भी लागू होंगे।
ख) भुगतान प्रणाली के दृष्टिकोण से, चेकों का संग्रहण सुलभ कराने के लिए उप-सदस्य के पास उनके ग्राहकों के खाते में जमा देने हेतु सुपुर्द कराए गए खाते में भुगतान वाले चेकों का संग्रहण समाशोधन गृह के सदस्य बैंक (जिसे प्रायोजक सदस्य के रूप में देखा जाता है) द्वारा किया जा सकता है। ऐसी व्यवस्था के तहत इस आशय की स्पष्ट वचनबद्धता होनी चाहिए कि खाते में भुगतान वाले चेक से प्राप्य राशि प्राप्त होने पर केवल प्राप्तकर्ता के ही खाते में जमा की जाएगी।
ग) खाते में भुगतान वाले चेकों के संग्रहण में सहकारी क्रेडिट सोसाइटियों के सदस्यों को आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए यह भी स्पष्ट किया जाता है कि संग्रहण करनेवाले बैंक काटे गए रु.50,000/- तक की राशि के खाते में भुगतान वाले चेकों का संग्रहण अपने ग्राहकों के खाते में कर सकते हैं, जो सहकारी ग्रेडिट सोसाइटियां होती हैं, यदि ऐसे चेकों के प्राप्तकर्ता इस प्रकार की सहकारी ग्रेडिट सोसाइटियों के ग्राहक हों। जैसा पहले कहा गया, ऐसे चेकों के संग्रहण के समय बैंकों के पास संबंधित सहकारी क्रेडिट सोसाइटियों द्वारा लिखित में दिया गया स्पष्ट अभ्यावेदन होना चाहिए कि चेकों की प्राप्य राशि मिल जाने पर उसे सहकारी क्रेडिट सोसाइटी के केवल उस सदस्य के खाते में ही जमा किया जाएगा जो चेक में नामोल्लिखित प्राप्तकर्ता है। परंतु यह सेवा धारा 131 सहित परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 के प्रावधानों की अपेक्षाओं की अनुपालना के अधीन होगी।
घ) उक्त अनुदेश ड्राफ्ट, भुगतान आदेश और बैंकर्स चेक के लिए भी लागू हैं।
3. स्थानीय/बाहरी चेक/लिखत के संग्रहण की नियत समयावधि:
3.1 स्थानीय चेक/लिखत के लिए:
जमा एवं नामे को उसी दिन या हद-से-हद समाशोधन में प्रस्तुत किए जाने के अगले दिन क्रियान्वित कर दिया जाएगा (यानी बैंक जिस दिन समाशोधन का निपटान किया जाता है उसी दिन बैंक ग्राहक के खाते में राशि जमा कर देगा। इस प्रकार किए गए जमा के आहरण को संबंधित केन्द्र के समाशोधन गृह की चेक वापसी की नियत समयावधि के अनुसार अनुमति दी जाएगी।)
3.2 बाहरी चेक/लिखत के लिए:
राज्य की राजधानियों के लिए काटे गए |
07 दिन |
प्रमुख नगरों के लिए काटे गए |
10 दिन |
अन्य स्थानों के लिए काटे गए |
14 दिन |
संग्रहण के लिए ऊपर दर्शाई गई समयावधि अंतिम समय-सीमा मानी जाएगी तथा प्रक्रिया पहले पूरी हो जाने पर जमा पहले ही दे दिया जाएगा।
4. देरी से चेक संग्रहण के लिए ब्याज का भुगतान:
बैंक की क्षतिपूर्ति नीति के एक भाग के रूप में, यदि जमा देने में ऊपर बताई गई समयावधि से ज्यादा देरी होती है तो बैंक अपने ग्राहक को संग्रहण लिखत की राशि पर ब्याज का भुगतान करेगा। यह ब्याज ग्राहक के बिना मांगे सभी प्रकार के खातों में भुगतान किया जाएगा। देरी से संग्रहण के लिए ब्याज भुगतान के प्रयोजन से इस बात में कोई फर्क नहीं किया जाएगा कि लिखत बैंक की अपनी शाखा पर अथवा अन्य बैंक पर जारी की गई है। किसी अन्य बैंक पर संग्रहण के लिए जारी किए गए लिखत की प्राप्य राशि जमा किए जाने में देरी होने पर, यदि देर का कोई हिस्सा भुगतान देनेवाले बैंक की वजह से माना जा रहा है तो ग्राहक को हमारे द्वारा क्षतिपूर्ति दी जाएगी और भुगतान करनेवाले बैंक के साथ क्षतिपूर्ति की हिस्सेदारी का निपटान उनके साथ किया जाएगा (आईबीए की सूचना सीई/आरबी/बीसीएसबीआई-एमसीपी/6272 दिनांक 17 जुलाई, 2012)।
4.1 देरी से संग्रहण के लिए ब्याज निम्नांकित दरों पर दिया जाएगा:
स्थानीय चेक: देरी की अवधि के लिए बचत बैंक की ब्याज दर से क्षतिपूर्ति देय होगी।
बाहरी चेकों के लिए: बाहरी चेकों के संग्रहण में यथास्थिति 07/10/14 से ज्यादा दिनों की देरी अवधि के लिए, यानी आठवें/ग्यारहवें/चौदहवें दिन से बचत बैंक दर से ब्याज देय होगा।
जहां बाहरी लिखत के संग्रहण की समयावधि के बाद 14 से ज्यादा दिनों की देरी हुई हो (बाहरी चेकों के संग्रहण में यथास्थिति 07/10/14 दिन) वहां संबंधित अवधि के लिए मीयादी जमा पर लागू दर से ब्याज देय होगा।
अत्यधिक देरी यानी बाहरी लिखत के संग्रहण के लिए निर्धारित समयावधि से 90 से ज्यादा दिनों (यथास्थिति 07/10/14 दिन) की देरी के मामले में, संबंधित मीयादी जमा दर से 2% अधिक दर से ब्याज का भुगतान किया जाएगा।
जब भी संग्रहण के लिए प्रस्तुत चेक की प्राप्य राशि, संबंधित ग्राहक के ओवरड्राफ्ट / ऋण खाते में जमा की जानी हो, तो बैंक संग्रहण हेतु आवश्यक सामान्य अवधि को ध्यान में रखते हुए प्राप्तियों को मूल्य-दिनांकित करने पर विचार करेगा।
स्थानीय चेकों (समाशोधन) के मामले में, बैंक सापेक्ष वापसी समाशोधन बंद होने के तुरंत बाद ग्राहक के खाते में छाया जमा के उपयोग की अनुमति देगा। किसी भी स्थिति में आहरण की अनुमति साधारण सुरक्षोपायों को ध्यान में रखते हुए उसी दिन दी जाएगी या हद से हद अगले कार्यदिवस को कारोबार की शुरुआत से एक घंटे में दे दी जाएगी।
स्थानीय चेकों की राशि की प्राप्ति में होनेवाली देर के मामले में, संबंधित देरी की अवधि पर बचत बैंक दर से क्षतिपूर्ति की जाएगी(आरबीआई की सूचना सं. आरबीआई/2012-13/165डीपीएसएस.सीओ.सीएचडी. नं.284/03.06.03/2012-13 दिनांक 13 अगस्त, 2012)।
यह नोट किया जाए कि ऊपर बताए अनुसार ब्याज भुगतान उन्हीं लिखत के लिए लागू होगा जो भारत में संग्रहण के लिए भेजे जाएंगे और यह भुगतान ग्राहक की ओर से बिना मांगे दिया जाएगा।
4.2 तकनीकी दृष्टि से लौटाए गए चेकों को पुन: प्रस्तुत करने में देरी तथा इस तरह वापस करने पर शुल्क लगाना
भारतीय रिज़र्व बैंक ने सूचित किया है कि उन्हें ऐसी घटनाओं के बारे में अवगत कराया गया है कि बैंक (i) ऐसे मामलों में भी चेक लौटाने का शुल्क ले रहे हैं जहां लौटाए जाने में ग्राहकों की गलती नहीं है (ii) भुगतान करनेवाले बैंकों द्वारा तकनीकी कारणों से लौटाए गए चेकों को पुन: प्रस्तुत करने में देर करना। ये दोनों मुद्दे असंतोषजनक ग्राहक सेवा की ओर ले जाते हैं।
तदनुसार बैंक द्वारा निम्नांकित अनुदेशों का पालन करने का निर्णय किया गया है:
- चेक लौटाने का शुल्क उन्हीं मामलों में लगाया जाएगा जिनमें ग्राहक की गलती है और वह चेक लौटाए जाने के लिए जिम्मेदार है। चेक लौटाने के संबंध में समग्रत: नहीं बल्कि ऐसी उदाहरणपरक सूची अनुलग्नक में दी गई है जिनमें ग्राहकों की गलती नहीं है।
- जिन चेकों को प्राप्तकर्ता के पास जाए बिना फिर से प्रस्तुत करने की जरूरत पड़ती है, उनको समाशोधन के तुरंत बाद वाली प्रस्तुति में 24 घंटे के भीतर प्रस्तुत कर दिया जाएगा (अवकाश को छोड़कर) और एसएमएस एलर्ट, ई-मेल आदि के माध्यम से ऐसी पुन:प्रस्तुति की समुचित सूचना ग्राहक को दी जाएगी।
5. आवाजाही / समाशोधन प्रक्रिया में या भुगतान करनेवाली बैंक शाखा में चेक/लिखत का खोना:
जब संग्रहण के लिए स्वीकृत कोई चेक या लिखत आवाजाही या समाशोधन प्रक्रिया में या भुगतान करनेवाली बैंक शाखा में खो जाता है तो बैंक को इसका पता लगते ही तुरंत खातेदार को इसकी सूचना देनी होगी ताकि खातेदार आहरणकर्ता को ‘भुगतान रोको’ दर्ज कराने की सूचना दे सके और इस बात का भी ध्यान रख सके कि उसके द्वारा जारी चेक, खोए हुए चेक/लिखत की राशि के जमा न होने के कारण अनादरित न हो जाएं। बैंक चेक के आहरणकर्ता से डुप्लीकेट लिखत प्राप्त करवाने में ग्राहक को हर संभव सहयोग देगा।
बैंक की क्षतिपूर्ति नीति के अनुरूप बैंक निम्न प्रकार से आवाजाही के दौरान खोए लिखतों के लिए खातेदार को क्षतिपूर्ति प्रदान करेगा:
- यदि संग्रहण की निर्धारित समय-सीमा के बाद ग्राहक को लिखत के खोने के संबंध में सूचित किया जाता है तो ऊपर बताई गई दरों पर निर्धारित संग्रहण अवधि पूरी होने के बाद की अवधि के लिए ब्याज का भुगतान किया जाएगा।
- इसके अलावा, बैंक डुप्लीकेट चेक/लिखत प्राप्ति और उसके संग्रहण में होनेवाली संभावित देर के प्रावधान रूप में बचत बैंक दर पर अतिरिक्त 15 दिनों के लिए चेक राशि पर ब्याज का भुगतान करेगा।
- बैंक ग्राहक को भुगतान रोकने का आदेश दर्ज करने और / या डुप्लीकेट चेक/लिखत प्राप्त करने हेतु दिए गए किसी भी वाजिब शुल्क के लिए भी रसीद प्रस्तुत किए जाने पर क्षतिपूर्ति प्रदान करेगा । ऐसा तब होगा जब लिखत को ऐसे बैंक / संस्था से प्राप्त करना हो जो डुप्लीकेट लिखत जारी करने के लिए शुल्क लेता है।
- किसी चेक या लिखत को बैंक द्वारा बट्टागत किए जाने के बाद, आवाजाही में उसके खोने की सूचना बैंक से प्राप्त होने के अधिकतम 14 दिनों की अवधि में खातेदार को एक डुप्लीकेट चेक/लिखत प्राप्त करने की व्यवस्था करनी होगी। बैंक ने यदि खोए हुए चेक को पहले ही बट्टागत कर उसकी राशि जमाकर्ता के खाते में जमा कर दी हो, तो यदि 14 दिनों के भीतर ग्राहक डुप्लीकेट चेक/लिखत की व्यवस्था नहीं करता है तो बैंक उसे वापस ले लेगा।
- ऐसे नुकसान की जवाबदेही खातेदार की न होकर संग्रहण करनेवाले बैंक की होगी।
- यदि भुगतान करनेवाली शाखा में चेक/लिखत खोया हो, तो संग्रहण करनेवाले बैंकर को यह अधिकार होना चाहिए कि वह भुगतान करनेवाले बैंकर से चेक/लिखत के खोने के लिए ग्राहक को प्रतिपूर्ति की गई राशि की वसूली करे।
6. अनादरित चेकों की वापसी/प्रेषण की प्रक्रिया:
- भुगतान करनेवाले बैंक को समाशोधन गृहों के माध्यम से प्रस्तुत किए गए अनादरित चेकों की वापसी, बैंकरों के समाशोधन गृहों के एकसमान विनियमों एवं नियमों की शर्तानुसार संबंधित समाशोधन गृह के लिए निर्धारित वापसी अनुशासन के अनुसार करनी चाहिए। ऐसे अनादरित चेकों की प्राप्ति होने पर संग्रहणकर्ता बैंक को तत्काल तथा किसी भी स्थिति में 24 घंटे में भुगतान लेनेवालों /धारकों को प्रेषित कर ही देना चाहिए।
- लेन-देन के निपटान के लिए भुगतानकर्ता बैंक को सीधे उस बैंक के दो खातों के बीच अंतरण रूप में प्रस्तुत चेक के मामले में, ऐसे बैंक को अनादरित चेक तत्काल भुगतान प्राप्तकर्ताओं/धारकों को वापस कर देने चाहिए।
- सभी खातों के संबंध में, राशि की कमी के कारण अनादरित होनेवाले चेक “अपर्याप्त राशि” के वापसी कारण का उल्लेख करनेवाले ज्ञापन के साथ वापस किया जाए।
- चेकों के अनादरण/वापसी के मामले में, भुगतान करनेवाले बैंकों को वापसी ज्ञापन/आपत्ति पर्ची पर वापसी के कारण का स्पष्ट संकेत करना चाहिए और उसमें बैंक कार्मिकों के हस्ताक्षर / आद्यक्षर भी होने चाहिए, जैसा कि बैंकरों के समाशोधन गृहों के एकसमान विनियमों एवं नियमों के नियम 6 में विहित है।
6.1 अनादरित चेकों की सूचना:
रु. 1 करोड़ एवं अधिक की राशि के प्रत्येक अनादरित चेक से संबंधित डाटा को ग्राहकों पर बैंक के एमआईएस का एक हिस्सा बनाया जाना चाहिए और शाखाएं मासिक आधार पर संबंधित अंचल कार्यालय को ऐसे डाटा की रिपोर्ट करेंगी तथा अंचल कार्यालय अपनी ओर से ऐसे डाटा को समेकित करके उसे प्रधान कार्यालय, परिचालन एवं सेवा विभाग को सुपुर्द करेगा। स्टॉक एक्सचेजों के पक्ष में काटे गए और अनादरित हुए चेकों के संबंध में, शाखा द्वारा उनके मूल्य पर ध्यान न देते हुए ब्रोकर इकाइयों से संबंधित अपने एमआईएस के एक भाग के रूप में डाटा अलग से समेकित किया जाएगा तथा मासिक आधार पर अपने संबंधित अंचल कार्यालय को रिपोर्ट किया जाएगा। अंचल कार्यालय अपनी ओर से इस सूचना को समेकित करके प्रत्येक माह प्रधान कार्यालय, परिचालन एवं सेवा विभाग को सुपुर्द करेगा।
6.2 बारंबार चेकों के अनादरित होने पर अपनाई जानेवाली प्रक्रिया:
क. ग्राहकों में वित्तीय अनुशासन को प्रखर बनाने के लिए, चेक सुविधा के साथ परिचालित खातों हेतु एक शर्त यह रखी जाए कि यदि आहरणकर्ता के किसी खाते के लिए काटा गया रु. 1 करोड़ और अधिक राशि का चेक, खाते में अपर्याप्त राशि होने के कारण वित्तीय वर्ष के दौरान चार बार अनादरित कर दिया जाता है तो नई चेक बुक जारी नहीं की जाएगी। साथ ही बैंक ग्राहक को विधिपूर्वक नोटिस देने के बाद अपने विवेकानुसार संबंधित खाते को बंद कर देगा। परंतु नकदी सीमा, ओवरड्राफ्ट खातों जैसे अग्रिम खातों के मामले में, ऐसे खातों में ऋण सुविधाओं और चेक सुविधा को जारी रखने या अन्य मामलों की जरूरत बाबत समीक्षा स्वीकृति करनेवाले प्राधिकारी से उच्चतर प्राधिकारी द्वारा की जाएगी।
रु. 1.00 करोड़ से कम राशि के चेकों के मामले में, बैंक एक मौका और देगा, यानी आहरणकर्ता/खातेदार को सूचित कर अपर्याप्त राशि होने के कारण वित्तीय वर्ष के दौरान पांच बार चेक के अनादरण का मौका देगा और फिर ऊपर बताई गई प्रक्रिया का अनुसरण करेगा।
ख. वर्तमान खातों के परिचालन के संबंध में उपर्युक्त (i) में उल्लिखित शर्त को लागू करने के प्रयोजन से, शाखा चेक बुक कवर पर एक रबर की मुहर लगाकर चेक बुक जारी करते समय ग्राहकों को इस नई शर्त से अवगत करा सकती है।
ग. आहरणकर्ता के किसी खाते पर जारी कोई चेक एक वित्तीय वर्ष के दौरान यदि तीसरी बार अनादरित कर दिया जाता है तो शाखा संबंधित ग्राहक को एक चेतावनी सूचना\पत्र जारी करेगी जिसमें वह उक्त स्थिति की ओर उसका ध्यान आकर्षित करेगी तथा बताएगी कि यदि एक ही खाते में वित्तीय वर्ष के दौरान रु. 1 करोड़ और उससे अधिक राशि का चेक चौथी बार और रु. 1 करोड़ से कम राशि का चेक पांचवी बार अनादरित किया जाता है तो चेक बुक की सुविधा रोक ली जाएगी। इसी प्रकार की चेतावनी सूचना\पत्र जारी किया जा सकता है यदि बैंक उनके खाते को बंद करना चाहता हो।
7. जारी किए जाने की तारीख के तीन माह के बाद चेक/ड्राफ्ट/भुगतान आदेश/बैंकर्स चेक का भुगतान:
01 अप्रैल, 2012 से बैंक ने यह नीति अपनाई है कि ऐसे चेक/ड्राफ्ट/भुगतान आदेश/बैंकर्स चेक का भुगतान न किया जाए जिस पर यह तारीख या बाद की कोई तारीख पड़ी हो, यदि उसे ऐसे लिखत की तारीख से तीन माह से अधिक की अवधि के बाद प्रस्तुत किया जाए। शाखाएं चेक पन्ने, ड्राफ्ट, भुगतान आदेश एवं बैंकर्स चेक पर उसके धारकों के लिए उपयुक्त निदेश प्रिंट करके या उसकी मुहर लगाकर इन निदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें जिसमें लिखत की तारीख से तीन माह की अवधि में उसे प्रस्तुत करने की बात कही गई हो।
8. सीटीएस ग्रिड्स के अंतर्गत चेक समाशोधन – संग्रहणकर्ता बैंकर की जिम्मेदारी
शाखाएं एन.आई. अधिनियम, 1881 की धारा 131 के संशोधन , स्पष्टीकरण-II को नोट करें जिसमें उल्लेख है कि, “जिस बैंकर को अपने पास धारित ट्रंकेटेड चेक की इलेक्ट्रॉनिक छवि पर आधारित भुगतान प्राप्त हो उसका कर्तव्य होगा कि वह ट्रंकेट किए जानेवाले चेक की प्रथमदृष्ट्या वास्तविकता को सत्यापित करे, साथ ही समुचित सावधानी से और सामान्यत: ध्यान रखते हुए लिखत के सामने की ओर प्रतीत होनेवाले किसी भी ऐसे कपट, धोखाधड़ी और छेड़छाड़ का सत्यापन करे जिसे सत्यापित किया जा सके”।
9. सामान्य बातें
किसी न्यायालय, उपभोक्ता फोरम या अन्य किसी सक्षम अधिकारीके समक्ष अनादरित चेक से संबंधित किसी कार्यवाही में किसी शिकायतकर्ता (यानी अनादरित चेक का प्राप्तकर्ता/धारक) की ओर से चेक के अनादरण की वास्तविकता को साबित करने हेतु साक्ष्य जुटाने के प्रयोजन से बैंक पूरा पूरा सहयोग करेगा और शिकायतकर्ता को चेक अनादरित किए जाने की सच्चाई का दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध कराएगा।
10. ग्राहक शिकायत निस्तारण
संग्रहण की समय-सीमा, संग्रहण में देरी होने पर अतिरिक्त ब्याज के रूप में क्षतिपूर्ति, आवाजाही में चेक/लिखत का खोना आदि पर की गई ग्राहक शिकायतों का निस्तारण नीति के अनुसार किया जाएगा।
11. फोर्स मेजॉर
यदि कोई अप्रत्याशित घटना (सामाजिक दंगे, तोड़फोड़, तालाबंदी, हड़ताल या अन्य मजदूर प्रदर्शन, दुर्घटना, आग, प्राकृतिक आपदा या अन्य “ईश्वरीय प्रकोप”, युद्ध, बैंक या सहयोगी बैंक(कों) की सुविधाओं की हानि, यातायात या परिवहन के सामान्य साधनों का अभाव- इन सहित परंतु मात्र इतने तक सीमित नहीं) विनिर्दिष्ट सेवा सुपुर्दगी के पैरामीटरों के दायरे में बैंक को अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने से रोकती है जिस पर बैंक का कोई नियंत्रण नहीं है, तो बैंक देरी से जमा दिए जाने के लिए क्षतिपूर्ति देने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
12. विविध
- सीटीएस-2010 मानक चेकों के और जल्द कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने हेतु शाखाओं को निर्देश दिया जाता है कि गैर-सीटीएस-2010 मानक के लिखत, सीटीएस समाशोधन केंद्रों में कम आवर्ती अंतराल पर समाशोधित किए जाएंगे। कम अंतराल पर गैर-सीटीएस-2010 मानक के लिखतों की समाशोधन व्यवस्था की उपलब्धता के मद्देनज़र, ऐसे लिखतों की राशि देर से प्राप्त होने की संभावना के विषय में शाखाएं अपने ग्राहकों को अवगत कराएं।
- शाखाएं अपने ग्राहकों द्वारा संग्रहण के लिए जमा किए गए बाहरी चेक स्वीकार करने से मना नहीं करेंगी।
- शाखाएं प्रमुख स्थान पर लगे अपने नोटिस बोर्ड पर मोटे और साफ दिखनेवाले अक्षरों में चेक संग्रहण नीति (सीसीपी) की मुख्य बातों को प्रदर्शित करके इस नीति का व्यापक रूप से प्रचार करेंगी।
- यदि ग्राहक चाहे तो शाखा प्रबंधक उसे संपूर्ण सीसीपी की प्रति उपलब्ध कराएगा।
- चेक संबंधी कपट की घटनाएं – बचावपरक उपाय:-
शाखाएं/कार्यालय सुनिश्चित करें कि समाशोधन हेतु प्रस्तुत करते समय, बैंकिंग कार्य के दौरान चेकों को पारित करने, खाते की निगरानी आदि के समय संबंधित काम करनेवाले स्टाफ/कार्मिकों द्वारा बचावपरक उपायों सहित सभी प्रक्रियागत दिशानिर्देशों का भलीभांति पालन किया जाता है।
- सीटीएस-2010 अनुपालित चेकों का ही 100% उपयोग सुनिश्चित करना
- सेवा शाखाओं की ओर से चेकों का समुचित व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए आधार-संरचना को मजबूत बनाना, जिसके तहत विशेष ध्यान लगाए गए उपकरण की गुणवत्ता और सीटीएस आधारित समाशोधन के लिए तैनात कार्मिक पर देना, ताकि यह प्रक्रिया मात्र एक यांत्रिक प्रक्रिया होकर न रह जाए।
- यह सुनिश्चित करना कि लाभार्थी केवाईसी अनुपालक है ताकि जब तक वह बैंक का ग्राहक रहे तब तक बैंक उससे संपर्क कर सके।
- रु.1 लाख से अधिक के सभी चेकों को यूवी लैंप के नीचे रखकर उनकी जांच
- रु.3 लाख से अधिक के चेकों की बहुस्तरीय जांच (एक से अधिक स्तरों पर ऐसे चेक जांचे जाएं)
- खोले गए नए खातों में जोखिम श्रेणीकरण पर आधारित जमा-नामे की बारीकी से निगरानी
- जब चेक समाशोधन हेतु प्राप्त हों तो भुगतान करनेवाले/आहरणकर्ता को एसएमएस एलर्ट भेजना
- खोले गए नए खातों में रु. 25000/- एवं वर्तमान खातों में रु. 100000/- से अधिक के चेकों के संग्रहण हेतु आधार शाखा से लिखित में केवाईसी अनुपालन सुनिश्चित करवाना।
- संशयास्पद या बड़े मूल्य के चेकों का व्यवहार – गैर-मूल के चेकों के मामले में, आधार शाखा से संपर्क करना और फोन से बात करके ग्राहक को सचेत करना तथा भुगतान करनेवाले/आहरणकर्ता से पुष्टि करवाना
- चेकों की आवाजाही के दौरान तथा ग्राहकों द्वारा संग्रहण के बक्से में डाले गए चेकों का व्यवहार करते समय भी समुचित देखभाल एवं सुरक्षा पहलुओं को सुनिश्चित करना।
13. अन्य नीतिगत मुद्दे (सामान्य बातें)
क. इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के किन्हीं बाध्यकारी दिशानिर्देशों अथवा भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट नीतिगत बदलाव को प्रभावी बनाने के लिए इस दस्तावेज में बताई गई नीतियों में संशोधन किए जाएंगे। निदेशक मंडल को इन परिवर्तनों से अवगत कराया जाएगा।
ख. इस नीति में बताए गए मानदंडों से कोई भी विचलन/छूट की अनुमति केवल सक्षम अधिकारी द्वारा ही दी जाएगी तथा इस नीति के संदर्भ में सक्षम अधिकारी अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/कार्यपालक निदेशक होंगे।
ग. यदि नीति/निदेशों के लागू होने और / या अर्थ ग्रहण के संबंध में कोई सवाल उठ खड़ा होता है तो उसे स्पष्टीकरण के लिए अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/कार्यपालक निदेशक के पास ले जाया जाएगा और ऐसे मामले पर उन्हीं के निर्णय के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।
घ. यदि इस नीति/निदेशों में शामिल न की गई स्थिति या समस्या पैदा होती है तो उसे अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/कार्यपालक निदेशक के पास ले जाया जाएगा और ऐसी स्थिति/समस्या पर उन्हीं के निर्णय के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।
ङ. यदि किसी खास स्थिति में इस नीति/निदेशों को लागू किए जाने से प्रतीत होता हो कि उससे नीति/निदेशों का उद्देश्य और भावना ही समाप्त हो जाएगी तो ऐसे मसले को अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/कार्यपालक निदेशक के पास ले जाया जाएगा और ऐसे मसले पर उन्हीं के निर्णय के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।
अनुलग्नक-I
अनुलग्नक
आपत्तियों की उदाहरणपरक, न कि समग्र सूची जिनमें ग्राहक की गलती नहीं होती
(बैंकरों के समाशोधन गृहों के एकसमान विनियमों एवं नियमों के अनुलग्नक-डी में दिए गए विवरण के अनुसार लिखत एवं छवि-आधारित चेक समाशोधन पर लागू है)
33 |
कटा-फटा लिखत; बैंक गारंटी की जरूरत |
35 |
समाशोधन गृह की मुहर/तारीख आवश्यक |
36 |
गलत सुपुर्दगी/ हम पर जारी नहीं |
37 |
उचित ज़ोन में प्रस्तुत करें |
38 |
लिखत में बेतुकी बात दर्ज है |
39 |
छवि स्पष्ट नहीं, कागज पर पुन: प्रस्तुत करें |
40 |
दस्तावेज के साथ प्रस्तु करें |
41 |
दोबारा सूचीकृत मद |
42 |
कागज अप्राप्त |
60 |
दो बैंकों को क्रॉस किया गया |
61 |
क्रॉसिंग स्टाम्प रद्द नहीं |
62 |
क्लियरिंग स्टाम्प रद्द नहीं |
63 |
लिखत विशेष रूप से अन्य बैंक को क्रॉस किया गया |
67 |
प्राप्तकर्ता का पृष्ठांकन अनियमित/संग्रहणकर्ता बैंक की पुष्टि आवश्यक |
68 |
चिह्न/अंगूठे के निशान द्वारा पृष्ठांकन में मुहर सहित मजिस्ट्रेट का अनुप्रमाणन जरूरी |
70 |
एडवाइस अप्राप्त |
71 |
एडवाइस पर राशि/नाम में अंतर है |
72 |
प्रायोजक बैंक के पास आहरणकर्ता बैंक की अपर्याप्त निधि (उप-सदस्यों के लिए लागू) |
73 |
प्राप्तकर्ता द्वारा बैंक को अलग से डिस्चार्ज देना आवश्यक |
74 |
पहले प्रोक्सिमो तक देय नहीं |
75 |
भुगतान आदेश पर प्रतिहस्ताक्षर आवश्यक |
76 |
आवश्यक सूचना पढ़ने योग्य/सही नहीं |
80 |
बैंक का प्रमाण-पत्र अस्पष्ट/अधूरा/आवश्यक |
81 |
जारीकर्ता बैंक से ड्राफ्ट खोना, जारीकर्ता कार्यालय से पुष्टि आवश्यक |
82 |
बैंक/शाखा ब्लॉक्ड |
83 |
डिजिटल सर्टिफिकेट वैधीकरण असफल |
84 |
अन्य कारण – कनेक्टिविटी नहीं |
87 |
‘प्राप्तकर्ता खाते में राशि जमा’ – की मुहर आवश्यक |
92 |
बैंक बहिष्कृत |
