आवेदन की प्रोसेसिंग:
मौजूदा सामान्य ऋण आवेदन-सह-मूल्यांकन प्रारूप जो कि सभी ऋणों पर लागू होता है, जो कि सीमा के निरपेक्ष है, एमएसई क्षेत्र के वित्तपोषण के लिए लागू होगा।
प्रत्येक शाखा इस क्षेत्र के अंतर्गत वित्तपोषण के लिए उधारकर्ताओं से प्राप्त ऋण आवेदनों की एक पावती जारी करेगी और उसी का रिकॉर्ड बनाए रखेगी।
सभी प्रकार से आवेंदन के पूर्ण होने तथा चेक लिस्ट के अनुसार संलग्नक लगे होने पर ऋण सीमा अथवा वर्तमान ऋण सीमा में रु2 लाख तक की बढोत्तरी, दो सप्ताह के भीतर; 5 लाख रुपये तक की ऋण सीमा आवेदन प्राप्ति की दिनांक से 4 सप्ताह; 5 लाख रुपये से अधिक के आवेदन उचित समय सीमा के भीतर।
- आवेदनों की प्राप्ति / स्वीकृति / अस्वीकृति का रजिस्टर:
अ) प्रत्येक शाखा में एक रजिस्टर रखा जाना चाहिए जिसमें आवेदन प्राप्ति की दिनांक, अनुमोदन / संवितरण, कारणों के साथ अस्वीकृति की दिनांक अंकित की जानी चाहिए। शाखा में अंचल प्रमुख व अन्य अधिकरियों के दौरे के समय सत्यापन के लिए रजिस्टर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
ब.) शाखा प्रबंधक आवेदन को अस्वीकार कर सकता है (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जन जाति को छोड़कर)। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जन जाति के आवेदकों के प्रस्तावों के मामले में, शाखा प्रबंधक से उच्च स्तर पर अस्वीकृति की जानी चाहिए।
स.) अस्वीकृति का कारण फेयर प्रैक्टिस लेंडर्स कोड में उल्लिखित शर्त के अनुसार उधारकर्ता को सूचित किया जाएगा।
ऋण के प्रकार :
सूक्ष्म एवं लघु उद्यम इकाइयों को विभिन्न आवश्यकताओं के लिए अलग अलग प्रकार की ऋण सुविधाएं दी जा सकती हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल होंगे:
- सावधि ऋण / मांग ऋण / आस्थगित भुगतान गारंटी:
पूंजीगत वस्तुओं (प्रयोग की हुई को छोड़कर) के अधिग्रहण के लिए, अचल संपत्ति, वाहन, संयंत्र और मशीनरी, भूमि की खरीद, इमारतों का निर्माण आदि हेतु। एक बार प्रयोग की हुई मशीनरी की खरीद के सापेक्ष सावधि ऋण की अनुमति देने के लिए इस नीति में कोई प्रावधान नहीं है।
- कैश क्रेडिट, ओवरड्राफ्ट आदि के माध्यम से कार्यशील पूंजी:
1.कच्चे माल की खरीद, घटक, भंडार और न्यूनतम स्तर पर इन वस्तुओं के स्टॉक का रखरखाव और प्रक्रियाधीन एवं तैयार माल का स्टॉक
2.रसीद चालान / बिल सहित प्राप्तियों के सापेक्ष वित्त
3.जहां इकाइयों को अपने उत्पादों के विपणन के लिए बड़े पैमाने पर खर्च उठाना पड़ता है वहाँ विपणन खर्चों को पूरा करना ।
c) बिल/साख पत्र के अंतर्गत अथवा उससे इतर खरीदे एवंभुनाये गये बिल
(d) निर्यात ऋण सुविधाएं जैसे पैकिंग क्रेडिट, खरीदे गए विदेशी बिल/ यूएफबीपी।
(e) कच्चे माल/ पूंजीगत वस्तुओं की खरीद हेतु ऑन साइट/उपयोगिता के आधार पर साख पत्र
(f) कार्यनिष्पादन हेतु बैंक गारंटी, अग्रिम भुगतान, निविदा धन, सुरक्षा जमा, ऑर्डर प्राप्त करने के लिए गारंटी, कच्चे माल की खरीद के लिए आदि।
मार्जिन :
कारखाने की भूमि और भवन के मामले में, 20% का कुल मार्जिन |
स्टॉक और प्राप्तियों पर 25% समान मार्जिन। निर्यात ऋण के लिए मार्जिन 10% निर्धारित किया जा सकता है |
संयंत्र व मशीनरी और उपकरण के मामले में मार्जिन 20% प्रस्तावित है। |
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खाते के अधिग्रहण के सम्बंध में नियम:
- पिछले 3 वर्षों से बिक्री में लगातार वृद्धि
- विगत 3 वर्षों से लगातार लाभ
- विगत 3 वर्षों के दौरान “ए: या उसके समान तथा उससे उच्च श्रेणी निर्धारण और विगत 3 वर्षों के दौरान श्रेणी निर्धारण (क्रेडिट रेटिंग) में कोई कमी न हुई हो
- ईकाई की संपत्ति (वर्तमान में भी निर्धारित) बैंक के पक्ष में सृजित है और प्रवर्तक / निदेशक की व्यक्तिगत गारंटी उपलब्ध है
- आस्ति कवरेज अनुपात 1: 5 से अधिक
- अन्य अधिग्रहण मानदंडों का अनुपालन किया जाता है
सीजीटीएमएसई के तहत श्रेणीवार अधिकतम कवर की सीमा निम्नवत है
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रु. 5 लाख तक |
रु. 5 लाख से अधिक रु. 50 लाख तक |
रु. 50 लाख से अधिक रु. 100 लाख तक |
सूक्ष्म उद्योग |
चूक धनराशि का 85% ,अधिकतम रु. 4.25 लाख रु. |
चूक धनराशि का 75%, अधिकतम रु.37.50 लाख |
रुपये 37.50 प्लस चूक धनराशि का 50% उपरोक्त रुपये 50 लाख अधिकतम सीमा रुपये 62.50 लाख के विषयाधीन हैं। |
महिला उद्यमी / पूर्वोत्तर क्षेत्र (सिक्किम सहित) में अवस्थित इकाईयां इकाइयाँ |
चूक धनराशि का 80% ,अधिकतम रु. 40 लाख रु. |
रुपये 40 लाख प्लस चूक धनराशि का 50%, उपरोक्त रुपये 50 लाख अधिकतम सीमा रुपये 65 लाख के विषयाधीन हैं। |
सम्मिश्र ऋण :
- भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, कारीगरों, गाँव और कुटीर उद्योगों और अन्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यम इकाइयों को उपकरण वित्त या कार्यशील पूंजी या दोनों के लिए रु. 100.00 लाख की वित्तीय सहायता, सम्मिश्र सवधि ऋण माना जाना चाहिए।
- यह अधिकांश्तः सूक्ष्म एवं लघु उद्यम को एकल स्थान से ऋण सुविधा प्राप्त करने में सक्षम करेगी । इसके साथ ही यह लघु उद्यम वित्तीय केंद्र से कार्यशील पूंजी हेतु सावधि ऋण तथा बैंकों से कार्यशील पूंजी लेने की आवश्यकता को समाप्त करेगा।
- यह सुविधा-वार अलग-अलग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के बजाय केवल दस्तावेजों के एक सेट पर हस्ताक्षर करने की सुविधा प्रदान करेगा।
ऋण श्रेणी निर्धारण (क्रेडिट रेटिंग) :
क्षेत्र पदधिकारियों से प्राप्त प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि रु.1.00 करोड़ तक के ऋण आंतरिक ऋण श्रेणी निर्धारण के अधीन नहीं होंगे
- 1 करोड़ रुपये से अधिक के कुल निवेश के लिए, ब्याज की दर ऋण श्रेणी निर्धारण के अनुसार तय की जाती है
सूक्ष्म एवं लघु उद्यम के लिये हमारे बैंक का ऋण श्रेणी निर्धारण मोड्यूल हमारे बैंक के ऋण नीति प्रलेख के अनुसार होगा।
- बाहरी ऋण श्रेणी निर्धारण एजेंसियों द्वारा श्रेणी निर्धारण :
हमारे बैंक ने सूक्ष्म एवं लघु उद्यम ऋण प्राप्तकर्ताओं की ऋण श्रेणी निर्धारण के लिये एस एम ई आर ए SMERA, फिच रेटिंग्स इंडिया (प्रा.) लिमिटेड, डन एंड ब्रैड स्ट्रीट और आई सी आर ए (ICRA) लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किया है। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC) को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है, जो सूक्ष्म और लघु उद्यमों से सूचिबद्ध किसी एजेंसी से (विनिर्माण क्षेत्र, अर्थात् पहले SSI इकाइयों) ऋण श्रेणी निर्धारण (क्रेडिट रेटिंग) प्राप्त करने वाली इकाइयों को सब्सिडी प्रदान करती है। एनएसआईसी सब्सिडी योजना के तहत रेटिंग एजेंसियों द्वारा किया गया ऋण श्रेणी निर्धारण (क्रेडिट रेटिंग) उधारकर्ता के साथ-साथ ऋणदाता के लिए भी निर्णायक है। हालाँकि, अधिग्रहण किये गये खाते के मामले में वर्तमान दिशानिर्देश जारी रहेंगे।
मूल्य निर्धारण :
सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्षेत्र में चूक का जोखिम उधारकर्ताओं के एक विस्तृत आधार के बीच फैला हुआ है और इसलिए मूल्य निर्धारण-
- निश्चित सीमा तक क्रेडिट रेटिंग से नहीं जुड़ा होगा, वर्तमान में रु. 1.00 करोड़ तक।
- रुपये 1 करोड से ऊपर की क्रेडिट सीमा के लिए घटक की क्रेडिट रेटिंग से जुड़ा होगा।
साथ ही आरबीआई के निर्देशों को समय-समय पर ध्यान में रखा जाएगा
