देय राशि की वसूली तथा संपत्ति पर कब्ज़ा

देय राशि की वसूली तथा संपत्ति पर कब्ज़ा

परिचय :

बैंक की ऋण वसूली नीति ग्राहकों की गरिमा एवं उनके आदर को ध्यान में रख कर बनाई गयी है। बैंक देय राशि की वसूली के लिए इस प्रकार की नीति नहीं अपनाएगा जो कि अनुचित रूप से बलप्रयोग की हो। यह नीति विनम्रता, न्ययपूर्ण व्यवहार और प्रोत्साहन पर आधारित है। बैंक का विश्वास देय राशि की वसूली के सन्दर्भ में उचित व्यवहार अपनाने में है जिससे ग्राहकों का विश्वास प्रगाढ़ हो तथा उनसे दीर्घकालिक सम्बन्ध बने।

बैंक द्वारा स्वीकृत किये गए किसी भी ऋण का चुकौती कार्यक्रम ऋणी की भुगतान क्षमता और नकदी प्रवाह पैटर्न को ध्यान में रख बनाया जाएगा। बैंक ग्राहक को ब्याज की गणना का तरीका एवं किस प्रकार से ग्राहक की ओर से देय ब्याज व मूल धनराशि का भुगतान (ई.एम.आई) या भुगतान के किसी अन्य माध्यम से किया जा सकता है, इसकी सूचना पहले ही दे देगा। ग्राहकों से बैंक यह अपेक्षा करता है कि वे स्वीकृत किए गए चुकौती कार्यक्रम का अनुपालन करें तथा चुकौती के मार्ग में यदि कोई वास्तविक परेशानी आये तो बैंक से सहायता के लिए संपर्क करें।

बैंक की देय राशि की वसूली की नीति का उद्देश्य व्यतिक्रम होने की दशा में देय की वसूली करने का है न कि ऋणी को संपत्ति से वंचित करने का। बैंक कब्जे की कार्रवाई की ओर ऋणी से वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने की कोशिशों के तहत की गयी वार्ता के विफल होने के उपरांत ही अग्रसर होगा। यह नीति कब्जे, मूल्यांकन तथा संपत्ति की प्राप्ति में पारदर्शिता बरतती है। बैंक द्वारा देय धनराशि की वसूली एवं संपत्ति पर कब्जे के लिए अपनायी गयी प्रक्रिया क़ानून के अनुरूप है।

सामान्य दिशा निर्देश :

स्टाफ के समस्त सदस्य अथवा संग्रह या/ एवं संपत्ति पर कब्जे की प्रक्रिया के लिए बैंक का पक्ष प्रस्तुत करने हेतु प्राधिकृत व्यक्ति को निम्नलिखित दिशा निर्देशों का अनुपालन करना होगा। :

  1. ग्राहक से उसके पसंद के स्थान पर संपर्क करना होगा तथा किसी विशिष्ट स्थान के न होने पर उसके निवासस्थान, निवासस्थान पर उपलब्ध न होने पर उसके कार्यस्थल पर संपर्क करना होगा।
  2. अनुवर्ती कारवाई और देय धनराशि की वसूली के लिए बैंक का पक्ष प्रस्तुत करने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति की पहचान व प्राधिकार पहली बार में ही ऋणी को बता दी जानी चाहिए। अनुरोध किये जाने पर स्टाफ के सदस्य अथवा संग्रह या/एवं संपत्ति पर कब्जे की प्रक्रिया के लिए बैंक का पक्ष प्रस्तुत करने हेतु प्राधिकृत व्यक्ति को अपनी पहचान देनी होगी तथा बैंक की ओर से दिया गया प्राधिकार पत्र प्रस्तुत करना होगा।
  3. बैंक को अपने ऋणियों की निजता का सम्मान करना होगा।
  4. बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि उसके ऋणी से किया जाने वाला समस्त लिखित व मौखिक संवाद सामान्य व्यावसायिक भाषा में होगा तथा बैंक ऋणियों के साथ संपर्क करने के लिए सिविल शिष्टाचार अपनायेगा।
  5. सामान्यतः बैंक के प्रतिनिधि ऋणी से 0700 से 1900 बजे के मध्य संपर्क करेंगे जब तक की उसके व्यवसाय की विशेष परिस्थितियों के कारण बैंक को किसी अन्य समय संपर्क न करना पड़े।
  6. जहाँ तक हो सके ऋणी द्वारा किसी विशिष्ट समय व स्थान पर कॉल न करने के अनुरोध का सम्मान करना होगा।
  7. बैंक देय धनराशि की वसूली हेतु किए गए प्रयासों को प्रलेखीकृत करेगा और ग्राहकों द्वारा किए गए संपर्क, यदि कोई हो तो, उन्‍हें रिकार्ड में रखा जाएगा।
  8. देय धनराशि के संबंध में किसी भी प्रकार के विवाद का निपटारा पारस्‍परिक रूप से स्‍वीकार्य एवं सुव्‍यवस्थित तरीके से किया जाएगा।
  9. अनुचित अवसरों जैसे कि परिवार में दुख के समय अथवा आपदाओं की स्थिति में देय धनारशि की वसूली हेतु कॉल/दौरा करने से बचना होगा।

ऋणियों को नोटिस दिया जाना

बैंक के प्रतिनिधि द्वारा ऋणी के घर/कार्यस्‍थल के दौरे को ऋण की अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में प्रयोग किया जाएगा, बैंक लिखित नोटिस दिए बिना किसी भी प्रकार की विधिक कार्रवाई अथवा वसूली हेतु किसी अन्‍य माध्‍यम जिसमें कि संपत्ति पर कब्ज़ा भी है, नहीं करेगा। मांग नोटिस ऋणी को रजिस्‍टर्ड पोस्‍ट के द्वारा जिसकी पावती भी ली जाए अथवा प्रलेखों को सौंपने के किसी अन्‍य प्रकार जैसे कि स्‍पीड पोस्‍ट जिसकी पावती ली जाए अथवा कोरियर/फैक्‍स या इलेक्‍ट्रानिक मेल सर्विस के द्वारा प्रेषित किया जाएगा। बैंक वसूली/कब्‍जे के लिए जैसा आवश्‍यक हो, विधि के अधीन समस्‍त प्रक्रियाओं का अनुपालन करेगा। ऋणी को प्रचलित कानून के अंतर्गत ऋण का भुगतान करने के लिए नोटिस दिया जाएगा जिसमें धारा13(2) के प्रावधानों के तहत 60 दिनों का नोटिस शामिल है, जिसमें असफल रहने पर बैंक कब्जे की कार्रवाई प्रारंभ करेगा।

संपत्ति पर कब्‍जा

संपत्ति पर कब्‍जे का उद्देश्‍य देय धनराशि की वसूली करना है न कि ऋणी को संपत्ति से वंचित करना। संपात्ति पर कब्‍जे द्वारा वसूली की प्रक्रिया में उचित माध्‍यम से कब्ज़ा, संपत्ति का मूल्‍यांकन तथा संपत्ति की प्राप्ति शामिल है। यह सभी कार्रवाई नि‍ष्‍पक्ष व पारदर्शी तरीके से की जाएगी। कब्‍जा ऊपर उल्लिखित विवरण के अनुसार नोटिस जारी किए जाने के उपरांत ही किया जाएगा। संपत्ति पर कब्ज़ा लेने से पूर्व अपेक्षित विधिक कार्रवाई का पालन करना होगा। व्‍यवसाय के सामान्‍य तरीके में, बैंक संपत्ति की अभिरक्षा लेने के उपरांत संपत्ति की सुरक्षा हेतु समस्‍त आवश्‍यक उपायों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।

संपत्ति का मूल्‍यांकन एवं विक्रय

बैंक द्वारा कब्‍जे में ली गई संपत्ति का मूल्‍यांकन तथा विक्रय कानून के तहत न्‍यायपूर्ण एवं पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। संपत्ति का कब्ज़ा लेने के उपरांत ऋणी/गारंटीकर्ता को 30 दिनों का नोटिस देने के बाद संपत्ति का विक्रय होगा। यदि विक्रय नीलामी के द्वारा किया जाना हो तो नोटिस में नीलामी का समय, दिनांक, स्‍थान तथा आरक्षित मूल्‍य दिया होगा। यदि ऐसी प्रतिभूति संपत्ति का विक्रय, जनता से निविदा आंमत्रित करने अथवा नीलामी करने से प्रभावित होता है, विक्रय नि‍जी संधि अथवा किसी अन्‍य तरीके से प्रस्‍तावित है तो ऋणी को आरक्षित मूल्‍य की सूचना देनी होगी। बिक्रय नोटिस दो अग्रणी समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाना चाहिए, जिनमें से एक स्थानीय भाषा में हो।

बैंक के पास यह अधिकार सुरक्षित होगा कि वह ऋणी से संपत्ति के विक्रय के उपरांत बकाया राशि, यदि कोई हो तो, वसूल कर सके। संपत्ति के विक्रय से प्राप्‍त धनराशि में अतिरिक्‍त धनराशि यदि कोई हो तो, समस्‍त संबंधित व्‍ययों को समायोजित करने के उपरांत, बैंक का ग्राहक से कोई अन्‍य दावा शेष न होने पर ऋणी को वापस कर दी जाएगी। ऐसा तभी कियाजाएगा जब कि बैंक का ग्राहक पर और कोई दावा ना हो अथार्त बैंक को यह स्वतंत्रता होगी कि सामान्य ग्रहणाधिकार अपने पास रखेगा। इसका अर्थ यह है कि भूत, वर्तमान तथा भविष्य में बैंक उधारकर्ता पर देनदार अथवा प्रतिभूति की हैसियत से वास्तविक या आकस्मिक किसी भी प्रकार की बकाया राशि प्राप्त करने का अधिकारी होगा।

ऋणी के लिए संपत्ति वापस लेने का अवसर

जैसा कि इससे पूर्व ही नीति के प्रलेखों में यह इंगित किया गया है कि संपत्ति पर कब्ज़ा लेने की कार्रवाई का उद्देश्‍य बैंक की देय राशि की प्राप्ति करने का अंतिम उपाय है न कि ऋणी को उसकी संपत्ति से वंचित करना। तदुनुरूप बैंक ऋणी को, संपत्ति का कब्ज़ा लेने के उपरांत तथा संपत्ति के विक्रय के लेनदेन के समापन से पूर्व, समस्‍त बैंक देयों का भु्गतान प्राप्‍त कर लेने पर, किसी भी समय संपत्ति का कब्ज़ा दे देगा। बैंक के समस्‍त अद्यतन देयों का भुगतान एवं उससे संबंधित समस्‍त औपचारिकताओं को पूरा करने के 60 दिनों के भीतर संपत्ति पर कब्ज़ा दे दिया जाएगा।

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